Tanishq का विज्ञापन सच्चा होते हुए भी क्यों झूठा है
कुछ साल पहले न्यूज़ चैनल में जॉब करने के दौरान मेरे एक मुस्लिम क्लीग ने ताना मारते हुए कहा कि यार, तुम लोगों का कोई ईमान नहीं है...तुम कहीं भी अपना सिर झुका देते हो। चाहे चर्च हो, गुरुद्वारा हो या मजार। पहले तो मुझे उसकी इस बात पर गुस्सा आया और फिर हंसी आई। मैंने कहा, दोस्त जिसे तुम हिंदुओं को रीढ़विहीन होना मानते हो सभ्य समाज इसे ही सेक्युलर होना कहता है। और सोचो ज़रा जिस एक ईश्वर में तुम ईमान रखने की बात करते हो अगर देश की बहुसंख्यक हिंदू आबादी भी वैसी सोच रखती, तो इस देश में इतने मज़हब, सम्प्रदाय क्या पनप पाते?