
मैं जिस जगह से आती हूँ वंहा से निकलने में मुझे समय लगेगा पर मैं एक दिन ये कर पाऊँगी
मैं मुंबई के मलिन बस्ती के इलाके से आती हूँ मलिन बस्ती जिसे स्लम एरिया या गन्दी बस्ती भी कहा जाता है। मेरी माँ लोगों के घरों में साफ़ सफाई का काम करती है जबकि वो इतनी पढ़ी लिखी है की वो एक टीचर की नौकरी कर सकती थी पर आसपास के माहौल की वजह से आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं कर सकीं। मेरे पिता एक ड्राइवर है और मेहनत से काम करते है।
मैं जिस इलाके में रहती हूँ या हर तरीके से असुरक्षित है, बरसात में घर में पानी भरना आम बात है। मकान मालिक हमेशा कुछ न कुछ दिक्कत करता रहता है। यंहा तक की मेरे माता पिता मुझे घर पर अकेले छोड़ने में भी डरते है। उन्हें लगता है की मुझे कुछ हो जायेगा फिर भी इन सब बातों का मुझ पर कोई असर नहीं है, मैं कभी भी डरती नहीं हूँ। जब मैं घर से निकलती हूँ तो बहुत से लोग है जो मेरी इज्जत करते है मुझे सम्मान से देखते है पर बहुत से ऐसे लोग भी है जो सिर्फ मुझे इसलिए नीची निगाह से देखते है क्यों की मैं एक पिछड़े इलाके में रहती हूँ।
एक बार की बात है मेरे कॉलेज के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट ने मुझे और दो और लड़कियों को क्लास से अलग निकाला हालांकि उन्होंने हमें समझाया की हमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी उस जगह से निकलने के लिए जंहा पर अभी हम है।
मैं लोगों को कहना चाहती हूँ की मुझे बार बार ये याद दिलाने की जरूरत नहीं है की मैं कंहा से आती हूँ। मैं इतना अवश्य जानती हूँ की इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं दिन रात मेहनत करके अपने कॉलेज की टॉपर हूँ और जो बच्चे सुविधा संपन्न घरों से आते है उनसे स्वस्थ कम्पटीशन करने के लिए कड़ी मेहनत करती हूँ।
मैंने इसी साल बीमएस पूरा किया है और आगे एमबीए में एडमिशन की तैयारी कर रही हूँ। मैं बेस्ट कॉलेज में एडमिशन लेना चाहती हूँ जिससे पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी पा सकूँ। मुझे पता है की इस जगह से बाहर निकलने में मुझे समय लगेगा पर मैं जानती हूँ एक दिन मैं इसमें जरूर सफल हो जाउंगी।
(ये स्टोरी फेसबुक पेज humans of Bombay से ली गयी है)
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