
पश्चिम बंगाल: मीडिया और राजनीति का आपसी घालमेल
पं बंगाल राजनीतिक रूप से बेहद ही संवेदनशील राज्यों में से एक है। खुद की राजनीतिक विचारधारा का प्रसार करने के लिए राजनीतिक दल मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए पार्टी के मुखपत्र निकाले जाते हैं। ये वो तरीका है जो वैध है लेकिन जब राजनीतिक दल मीडिया समूहों को सीधे तौर पर नियंत्रित न करके पीछे से नियंत्रित करें। बंगाल के राजनीतिक दल भी इस मामले में पीछे नहीं हैं।
सबसे पहले अगर बात की जाए तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की जो बंगाल में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रही। इस पार्टी ने देश के कई राज्यों में अपने अपने समाचार पत्र प्रकाशित करवाए हैं लेकिन अगर बात सिर्फ बंगाल की करें तो द मार्क्सिस्ट नाम और गणशक्ति नाम के दो समाचार पत्र सीपीआई एम की समाचार एजेंसी इंडिया न्यूज नेटवर्क के द्वारा प्रकाशित करवाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त सीपीआई एम का लेफ्ट वर्ल्ड बुक्स नाम का एक प्रकाशन भी है जो सिर्फ वामपंथी विचारधारा के ही किताबों को प्रकाशित करता है। हालांकि इसकी जानकारी सीपीआई एम ने अपनी वेबसाइट पर दे रखी है।
सीपाआई एम इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी कोई चैनल रखती है ऐसी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी है लेकिन रोबिन जाफरी और रोनोजॉय सेन ने अपनी किताब मीडिया एट वर्क इन चाइना एंड इंडिया में इस बात का जिक्र किया है कि बंगाल में चलने वाला चैनल T-24 घण्टा अप्रत्यक्ष रूप से सीपीआई एम द्वारा नियंत्रित किया जाता है। किताब के अनुसार 2001 के चुनाव से पहले सीपीआई एम के बंगाल में पूर्व पार्टी सचिव अनिल विश्वास के सुझाव के अनुसार बिजनेसमैन और मीडिया फेस अवीक दत्ता के फंड से आकाश बंगला नामका चैनल लांच किया गया। 2006 में पूरे मामले में नाटकीय मोड़ आया जब जी मीडिया पूर्वी भारत में अपने विस्तार की तरफ देख रहा था। जी मीडिया ने आकाश बंगला से हाथ मिलाने का फैसला किया। इसके लिए सीपीआई एम के उन लोगों से हाथ मिलाया गया जो आकाश बंगला का काम देखते थे। इसके बाद आकाश बंगला जी ग्रुप में शामिल हो गया और कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी जी ग्रुप के पास आ गई। इसके बाद कंपनी का स्टॉफ और कंटेंट तो जी मीडिया का ही रहा लेकिन उसमें जी मीडिया का ही लगा था। यहां से शूरूआत हुई T -24 घंटा की। इस चैनल को बंगाल में सीपीआई के समर्थम में न्यूज चलाने और किसी भी मामले में पार्टी के खिलाफ न बोलने के लिए जाना जाता है।
अब अगर बात की जाए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की तो ये भी इस मामले में बिल्कुल भी पीछे नहीं है। तृणमूल ने कोलकाता टीवी नाम के एक चैनल को नियंत्रित किया हुआ है। कोलकाता टीवी के एसएसटी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी नियंत्रित कर रही थी लेकिन लाइवमिंट के अनुसार 2009 में कंपनी के हालात खराब होने के बाद से इसे तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर युवा उद्यमी कौस्तुव रे खरीद लिया। कौस्तुव एक विवादित उद्यमी रहे हैं और उनकी बनाई हुई कंपनी इंफोसिस्टम्स के एक और प्रमोटर शिवाजी पांजा का नाम विलफुल डिफॉल्टरों में आता है। 2015 में पांजा को 18 करोड़ की धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था।
इसके अलावा तृणमूल संवाद प्रतिदिन नाम के एक चैनल पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण करती है जिसके मालिक स्वप्न साधन घोष हैं। इनके बेटे को पार्टी द्वारा राज्यसभा भेजा जा चुका है।
इन दो चैनलों के अतिरिक्त चैनल 10 भी तृणमूल के मुखपत्र के समान काम करता है ये चैनल एक समय तृणमूल के राज्यसभा सदस्य कुणाल घोस का हुआ करता था। सारधा घोटाले के खुलने के बाद से कुणाल घोस का चैनल 10 से कोई संबंध नहीं रह गया है लेकिन चैनल के अब भी पार्टी का समर्थन करने के कारण अज्ञात हैं।
(This article written by Shashank Trivedi . The views expressed are personal. He can be reached at s.shashanktrivedi@gmail.com)
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