
अब ये सुनिश्चित हो गया है की कोई यूपी का कमलनाथ एमपी के सिंधिया की कुर्सी न हथिया ले!
एमपी में बाहर से आने वाली कंपनियों को 70 फीसदी रोजगार स्थानीय लोगों को देना होगा.ये नया नियम नई सरकार ने लागू कर दिया.कमलनाथ ने सीएम बनते ही बयान दिया था की यूपी बिहार वाले लोग एमपी में रोजगार खा जाते हैं.ऐसे में ये नियम बनाना जरूरी है.
आपको ये तो मालूम ही होगा की एमपी में जीत के बाद कांग्रेस को सीएम चुनने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी.सूत्रों की माने तो एमपी का सीएम चुनने में जो देरी हुई उसका ये भी एक कारण था.दरअसल गांधी परिवार ये सुनिश्चित करना चाहता था की नए सीएम में ट्रंप जैसे गुण हों.दरअसल पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषणों में कई बार जिक्र किया की एमपी की सड़कें अमेरिका की सड़कों से बेहतर हैं.ऐसे में गांधी परिवार ने कहा की जब शिवराज सड़के अमेरिका जैसी बना सकते हैं तो हम सबसे पुरानी पार्टी होते हुए भला एक सीएम ट्रंप जैसा क्यों नहीं बना सकते.
बताते हैं की कमलनाथ को सीएम बनाने के पीछे उनमें ट्रंप का गुण पाया जाना है.डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अपने चुनाव प्रचार में बताया की किस तरह से विदेश से आ रहे लोगों ने अमेरिका के रोजगार पर कब्जा जमा रखा है.उनके इस कब्जे की वजह से अमेरीकी लोगों को रोजगार नहीं पा रहा.अमेरिकीयों ने इसे पसंद किया और ट्रंप को राष्ट्रपति बना दिया.उन्होंने वीजा से जुड़े कुछ नियम बाद में कड़े भी किए.चुनाव आते आते अमेरिका में वो क्या कर दें किसी को क्या पता.
कुल मिलाकर भारतीय ट्रंप ने सत्ता संभालते ही पहले एक जोरदार बयान दिया.उसकी निंदा भी हुई.सोशल मीडिया पर ये भी चर्चा हुई की कानपुर के रहने वाले कमलनाथ ने एमपी के सिंधिया का रोजगार कैसे खा लिया लेकिन भारतीय ट्रंप अपने निर्णय पर अडिग रहा.उसने वही कर दिया जो उसे करना था.कमलनाथ के लोकसभा चुनाव से पहले इतने बड़े फैसले के बारे में एक बात हमारे सूत्र और बता रहे हैं.दरअसल बीते दिनों पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस ने एक रैली की.कहा गया की राहुल गांधी की इस रैली में बड़ी भीड़ जुटने वाली है.ऐसे में राहुल गांधी अपने नए नवेले ट्रंप को भी साथ ले गए.लेकिन वहां उतने लोग नहीं आए जितनों की उम्मीद थी.
ऐसे में जब कमलनाथ जी वापस एमपी आए तो उन्होंने तुरंत ही बिहार का सारा गुस्सा अपने दस्तखत के जरिए नए नियम पर निकाल दिया.नया नियम बन चुका है लेकिन अभी ये पता नहीं है की इस कदम के अलावा कमलनाथ जी किस तरह से एमपी में रोजगार बढ़ाने वाले हैं.कमलनाथ जी ये भूल गए की जिन सस्ते यूपी बिहार के लेबरों के जरिए उनके प्रदेश में रोजगार फलता फूलता था उन्हें बाहर निकालकर कोई खास फायदा नहीं होने वाला है.क्या पता आज इन लेबरों का वो रास्ता रोक दें लेकिन कल को ये कंपनियां एमपी छोड़कर जाने लगें.यूपी के कानपुर में पहले खूब फैक्ट्रियां थीं लेकिन वहां लेबर यूनियन ताकतवर थीं.रोज हड़तालें होती थीं.लेबर यूनियनें अपनी हदें भूलने लगीं.उन्होंने रोज हड़तालें करना शुरू कर दिया.कंपनियों को नुकसान हुआ.उन्होंने अपनी कंपनियां वहां से हटा लीं.अब कानपुर के लोग बाहर रोजगार की तलाश में जाते हैं.
खैर एमपी के भारतीय ट्रंप के फैसले का दूरगामी असर क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा.शायद भारतीय ट्रंप जी ये सुनिश्चित करना चाह रहे हैं की अब कोई दूसरा कमलनाथ किसी सिंधिया की सीएम की कुर्सी दोबारा न हथिया पाए.
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